स्त्री, पुत्र और धन आदि प्रिय वस्तु या व्यक्ति का वियोग होने पर उनके लिए निरंतर चिन्तित या दुखी होना इष्टवियोगज नाम का आर्तध्यान कहलाता है।
इष्टोपदेश – आचार्य-पूज्यपाद 51 गाथा nikkyjain@gmail.com Date : 17-Nov-2022 Index गाथा / सूत्र विषय 01) मंगलाचरण 02) आत्मा को स्वयं ही स्वरूप की उपलब्धि कैसे? 03) अव्रत से व्रत धारण श्रेष्ठ 04) व्रत से स्वर्ग-मोक्ष की प्राप्ति 05) स्वर्ग सुख …