शास्त्र में कही गई विधि के अनुरूप क्रमशः आहार का त्याग करके स्वाश्रित रहकर दूसरे के द्वारा वैयावृत्ति आदि नहीं कराते हुए जो समाधि ली जाती है वह इङ्गिनी-मरण नाम सल्लेखना है। इस प्रकार की सल्लेखना लेने वाले साधु उत्तम …
वीर्य का उद्रेक होने कारण से इच्छा निरोध को तप कहते है। तीनों रत्नों को प्रगट करने के लिए इच्छा निरोध को तप कहते हैं ।