सूक्ष्म पदार्थ के विषय में जिनको कुछ जिज्ञासा उत्पन्न हुई है उन परम ऋषि के मस्तक में से मूल शरीर को न छोड़ते हुए जो एक हाथ ऊँचा, हंस के समान धवल, सर्वांग संदर पुरुषाकार शरीर निकलकर अन्तर्मुहूर्त में जहाँ …
सूर्य के उदय और अस्तकाल की तीन घड़ी (72 मिनिट) छोड़कर मध्यकाल में एक, दो या तीन मुहूर्त (48 मि.) काल में एक बार अन्न-जल ग्रहण करना यह साधु की आहारचर्या है। सद्गृहस्थ के द्वारा निर्दोष विधि से भक्तिपूर्वक दिये …