सच्चे देव शास्त्र, गुरू और तत्त्व के विषय में यह ऐसे ही है’ – ऐसा आस्था भाव रखना सम्यग्दृष्टि जीव का आस्तिक्य-गुण है।
जिस ऋद्धि के प्रभाव से विष मिश्रित आहार भी साधु के मुख में जाकर निर्विष हो जाता है या साधु के मुख से निकले हुए वचन सुनकर विष से पीड़ित प्राणी निर्विष हो जाते हैं, उसे आस्याविष ऋद्धि कहते हैं …