सम्यग्दर्शन आदि गुणों के आधार या आश्रय को आयतन कहते हैं। सच्चे देव, शास्त्र, गुरु और इन तीनों के उपासक- ऐसे छह आयतन हैं । मरण के समय संक्लेश भाव नहीं होना आदि मनुष्यायु के आसव में कारण हैं।
1. जीवन के परिणाम का नाम आयु है । अथवा जिसके सद्भाव में आत्मा का जीवितव्य होता है तथा जिसके अभाव से मृत्यु होती है उसे आयु प्राण कहते हैं। 2. जिसके उदय से जीव नरकादि भवों को धारण करता …