1. जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर प्रभायुक्त होता है उसे आदेय-नामकर्म कहते हैं। 2. जिस कर्म के उदय से जीव के बहुमान्यता उत्पन्न होती है वह आदेय नामकर्म कहलाता है।
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1. जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर प्रभायुक्त होता है उसे आदेय-नामकर्म कहते हैं। 2. जिस कर्म के उदय से जीव के बहुमान्यता उत्पन्न होती है वह आदेय नामकर्म कहलाता है।
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