समस्त अनन्त धर्मों से विशिष्ट जीव अजीवादिक पदार्थ जिसके द्वारा जाना जाता है वह आप्त की आज्ञा, आगम या जिनशासन कहलाती है।
शास्त्रोक्त आज्ञा का पालन न कर सकने के कारण उसका अन्यथा प्ररूपण करना आज्ञा – व्यापादिकी – क्रिया है।
भगवत् अर्हत् सर्वज्ञ की आज्ञा मात्र को मानकर सम्यग्दर्शन को प्राप्त हुए जीव आज्ञा सम्यग्दृष्टि हैं।