(पूरणकश्य का मत) उसके मत से समस्त प्राणी बिना कारण अच्छे बुरे होते हैं। संसार में शक्ति सामर्थ्य आदि पदार्थ नहीं हैं। जीव अपने अदृश्य के प्रभाव से यहाँ-वहाँ संचार करते है, उन्हें जो सुख–दुःख भोगने पड़ते हैं, सब उनके …
जो मुनि ज्योतिष शास्त्र से या किसी अन्य विद्या से या मंत्र – तंत्रों से अपनी आजीविका करता है, जो वेश्यों से व्यवहार करता है और धनधन्यादि सबका ग्रहण करता है, वह मुनि समस्त मुनियों को दूषित करने वाला हे। …