पूर्व-दक्षिण वाली विदिशा ।
पार्थिवी-धारणा के उपरांत योगी निश्चल अभ्यास से अपने नाभि-मंडल में सोलह पत्तों से युक्त कमल का ध्यान करे फिर उसे कमल की कर्णिका में महामंत्र र्ह का तथा सोलह पत्तों पर अ आ इ ई उ ऊ ऋ लृ ल …
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