शिकार खेलना बाह्य अनर्थ क्रियाओं के समान है इसलिए उसका त्याग अनर्थदण्डत्याग नाम के गुणव्रत में अन्तरभूत हो जाता है। शिकार खेलने में अनेक प्राणियों की हिंसा करने के लिए ही परिणाम होते हैं तदनन्तर उसके कर्मों के अनुसार भोगना …
Not a member yet? Register now
Are you a member? Login now