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23 July

आक्रन्दन 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

परिताप (संताप) के कारण जो आँसू गिरने के साथ विलाप आदि होता है उससे खुलकर रोना आक्रन्दन कहलाता है। यह असाता वेदनीय के आस्रव का कारण है।

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23 July

आक्रोश परीषह जय 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

क्रोध बढ़ाने वाले, अत्यन्त अपमानजनक, कर्कश और निन्दनीय वचनों को सुन कर जो साधु विचलित नहीं होते और प्रतिकार करने में समर्थ होते हुए भी उसे शान्त-भाव से सहन करते हैं और मन में कषाय – भाव नहीं आने देते …

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23 July

आक्षेपिणी कथा 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

जिनेन्द्र भगवान द्वारा कहे गए तत्त्वों का कथन करने वाली आक्षेपिणी कथा है।

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