देखिये अभिलाषा या अनशन |
जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु, जीवों को बाधा न पहुंचे इस तरह चलते हुए भूमि से चार अंगुल ऊपर आकाश में गमन कर सकते हैं, उसे आकाश – चारण ऋद्धि कहते हैं।
जो समस्त द्रव्यों को अवकाश अर्थात् स्थान दे वह आकाश द्रव्य है। यह सर्वव्यापी अखण्ड और अमूर्त द्रव्य है आकाश द्रव्य दो प्रकार का हैलोकाकाश और अलोकाकाश । जिसमें जीव आदि पदार्थ देखे जाते हैं अर्थात् उपलब्ध होते हैं उसे …