स्वसमय
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जो भव्य जीव दर्शन, ज्ञान, चारित्र में स्थित हो रहा है, वह निश्चय से स्वसमय है । जो आत्म स्वभाव में लीन है, वे स्वसमय जानों। जिनेन्द्र देव ने परमात्मा को स्वसमय बतलाया है।
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