स्वरूपास्तित्त्व
प्रत्येक द्रव्य की सीमा को बाँधते हुए, ऐसे विशेष लक्षणभूत स्वरूपास्तित्त्व से लक्षित होते हैं। प्रति नियत वस्तुवर्ती और स्वरूपास्तित्त्व की सूचना देने वाली अर्थात् पृथक-पृथक पदार्थ का पृथक-पृथक स्वतंत्र अस्तित्व बताने वाली अमान्तर संज्ञा है, इसे ही स्वरूपास्तित्त्व कहते हैं। सर्वकाल में गुण और अनेक प्रकार की अपनी पर्यायों से और उत्पाद, व्यय, ध्रौव्य से द्रव्य का जो अस्तित्व है, वह वास्तव में स्वभाव है ।