स्पन्दन
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जो चक्रवती और बलदेवों के चलने योग्य होते हैं, जो सर्व आयुधों से परिपूर्ण होते हैं, जो पवन के समान वेग वाले होते हैं और घुर के टूट जाने पर भी जिनके चक्रों की इस प्रकार की रचना होती है, जिस गुण के कारण जिनके गमनागमन में बाधा नहीं पड़ती, वे स्पन्दन कहलाते हैं ।
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