साधन व्यभिचार
किसी प्रकार वैयाकरणीजन कर्त्ताकारक वाले ‘करोति’ और कर्म कारक वाले ‘क्रियते’ इन दोनों शब्दों में कारक भेद होने पर भी इनका अभिन्न अर्थ मानते हैं, कारण कि ‘देवदत्त कुछ करता है’ और ‘देवदत्त के द्वारा कुछ किया जाता है’, इन दोनों वाक्यों का एक अर्थ प्रतीत हो रहा है। परीक्षा करने पर इस प्रकार मानना ठीक नहीं है क्योंकि ऐसा मानने पर ‘देवदत्त चटाई को बनाता है’ इस वाक्य में प्रयुक्त कर्त्ताकारक रूप देवदत्त और कर्मकारक रूप चटाई में भी अभेद का प्रसंग आता है।