समय
1. मंद गति से एक परमाणु को आकाश के एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश तक जाने में जितना काल लगता है उसे समय कहते हैं, यह काल की इकाई (यूनिट) है। 2. एकीभाव से अपने गुणपर्यायों को प्राप्त होकर जो परिणमन करता वह समय है। यहाँ समय शब्द सभी पदार्थ समूह के अर्थ में प्रयुक्त है। 3. समय का अर्थ जीव या आत्मा है। परम समरसी भाव स्वरूप अपने शुद्ध स्वरूप में परिणमन करना सो समय है यहाँ । 4. जिससे जीव, अजीव आदि पदार्थों का भले प्रकार से ज्ञान हो ऐसा सिद्धान्त ही समय है । यहाँ समय शब्द का अर्थ सिद्धान्त या आगम है स्वसमय और पर समय के भेद से समय दो प्रकार का है- जो जीव दर्शन, ज्ञान, चारित्र में स्थित है वह निश्चय से स्वसमय है और जो जीव पुद्गल कर्म के प्रदेशों में स्थित है वह पर समय है अथवा जो जीव पर्यायों में लीन है उन्हें परसमय कहा गया है और जो आत्म- स्वरूप में लीन है वे स्वसमय हैं । शब्द, अर्थ व ज्ञान समय की अपेक्षा से भी समय (आगम) का वर्णन किया गया है वर्णपद और वाक्य के समूह वाला पाठ अर्थात् शब्दागम वह शब्द समय है मिथ्यादर्शन के नाश होने पर उत्पन्न सम्यग्ज्ञान अर्थात् ज्ञानागम वह ज्ञान समय है कथन के निमित्त से ज्ञात हुए वस्तु रूप से समवाय अर्थात् समूह को अर्थ समय कहते हैं।