सप्त ऋषि
प्रभापुर नगर के राजा श्रीनंदन के सात पुत्र थे – सुरमन्यु, श्रीमन्यु, श्रीनिचय, सर्वसुन्दर, जयवान्, विनय लालस और जयमित्र । प्रीतिंकर महाराज के केवलज्ञान के अवसर पर देवों के आगमन से प्रतिबोध को प्राप्त होकर पिता सहित सातों ने दीक्षा ले ली । उत्तम तप के कारण सातों भाई सप्त ऋषि कहलाए । इनके तप के प्रभाव से मथुरा नगरी में महामारी रोग दूर हो गया था ।