सत्कार पुरस्कार
सत्कार का अर्थ पूजा प्रशंसा है तथा प्रत्येक कार्य के प्रारम्भ में आगे-आगे करना या आमन्त्रण देना पुरस्कार है। चिरकाल से मैंने ब्रह्मचर्य का पालन किया है महा तपस्वी हूँ, स्वसमय व परसमय का निर्णयज्ञ हूँ, मैंने बहुत बार परवादियों को जीता है तो भी कोई मुझे प्रणाम नहीं करता, मेरी भक्ति नहीं करता एवं उत्साह से आसन नहीं देता, व्यन्तर आदि पहले उग्रतप करने वालों की पूजा करते हैं यदि यह बात सच है तो इस समय वे हमारे समान तपस्वियों की पूजा क्यों नहीं करते, इस प्रकार के खोटे विचारों से रहित जिस साधु का चित्त है। उसके सत्कार पुरस्कार परीषह जय जानना चाहिए।