संभाषण
एक बार बोला हुआ असत्य संभाषण अनेक बार बोले सत्य भाषणों का संहार करता है । जब तुम्हारा मन सत्य से विमुख होकर असत्य की ओर झुकने लगे तो समझना कि तुम्हारा सर्वनाश निकट है। यदि तुम्हारे कटु संभाषण से किसी को कष्ट पहुँचता है तो तुम अपनी सब भलाई नष्ट हुई समझो। यदि समझदार को मालूम पड़े तो वह मुख से कठोर शब्द कह दे क्योंकि यह निरन्तर संभाषण से कहीं अच्छा है। मुख से बोलने योग्य बचनों का ही तू आचरण कर परन्तु निरर्थक शब्द मुख से मत निकाल |