शरीर पर्याप्ति
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तिल की खली के समान खल भाग को हड्डी आदि कठिन अवयव रूप से और तिल तेल के समान रस भाग को रस, रुधिर, वसा, वीर्य आदि द्रव, अवयव रूप से परिणमन करने वाले औदारिकादि तीन शरीरों की शक्ति से युक्त पुद्गल स्कन्धों की प्राप्ति को शरीर प्राप्ति कहते हैं ।
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