शब्दाकुलित आलोचना
पाक्षिक दोषों की आलोचना, चातुर्मासिक दोषों की आलोचना, वार्षिक दोषों की आलोचना, सब यति समुदाय मिलकर जब करते हैं, तब अपने दोष स्वेच्छा से कहना यह बहुजन नाम का दोष है। यदि अस्पष्ट रीति से गुरु को सुनाता हुआ अपने दोष मुनि कहेगा तो गुरु के चरण सानिध्य में उसने सातवाँ शब्दाकुलित दोष किया है, ऐसा मानना ।