व्यंजन नैगमनय
एक धर्मी में दो व्यंजन पर्याय को विषय करने वाला व्यंजन पर्याय नैगमनय है । जैसे- आत्मा में सत्य और चेतन है, यहाँ विशेषण होने के कारण सत्ता की गौण रूप से और विशेष होने के कारण चेतन की प्रधान रूप से ज्ञप्ति होती है। एक धर्मी में अर्थ व व्यंजन दोनों पर्यायों को विषय करने वाला अर्थ व्यंजन पर्याय नैगम नय है, जैसे कि धर्मात्मा व्यक्ति में सुख पूर्वक जीवन वर्त रहा है। यहाँ धर्मात्मा रूप धर्मी सुख रूप अर्थ पर्याय दो विशेषण होने के कारण गौण है और जीवीपना रूप व्यंजन पर्याय विशेष होने के कारण मुख्य है।