विभक्ति
विभाग करने को विभक्ति कहते हैं और विभक्ति के अभाव को अविभक्ति कहते हैं। विभक्ति, भेद, और प्राग्भाव से तीनों एकार्थवाची शब्द है । एक स्थिति में भी प्रदेश भेद की अपेक्षा नानात्व पाया जाता है। अथवा विवक्षित मोहनीय को मूल प्रकृति स्थिति का शेष ज्ञानावरणादि मूल प्रकृति स्थितियों से भेद पाया जाता है, अथवा प्रकृत में मूल प्रकृति स्थिति का एकत्व नहीं लिया है क्योंकि जघन्य स्थिति से लेकर उत्कृष्ट स्थिति तक सभी स्थितियों का मूल प्रकृति स्थिति पद के द्वारा ग्रहण किया है। इसलिए प्रकृति रूप से एक स्थिति अपने स्थित भेदों की अपेक्षा स्थितिविभक्ति होती है, यह सिद्ध होता है।