वक्तव्यता
वक्तव्यता के तीन प्रकार हैं- स्वसमय वक्तव्यता, परसमय वक्तव्यता, तदुभव वक्तव्यता । जिस शास्त्र में स्वसमय का ही वर्णन किया जाता है या विशेष रूप से ज्ञान कराया जाता है उसे स्वसमय व्यक्तव्यता कहते हैं। और उसमें रहने वाली विशेषता स्वमय वक्तव्यता कहते हैं। परसमय मिथ्यात्व को कहते हैं, उसका जिस प्राभृत या अनुयोग में वर्णन किया जाता है या विशेष ज्ञान कराया जाता है, उस प्राभृत या अनुयोग को परसमय वक्तव्य कहते हैं, और उसके बहाव को अर्थात् उसमें रहने वाली विशेषता को परसमय वक्तव्यता कहते हैं। जहाँ स्वसमय और परसमय, इन दोनों का निरूपण करके परसमय को दोषयुक्त दिखलाया जाता है और स्वसमय की स्थापना की जाती है, उसे तदुभव वक्तव्य कहते हैं और उसके भाव को अर्थात् उसमें रहने वाली विशेषता को तदुभव वक्तव्यता कहते हैं ।