योग निरोध
योगों के विनाश को योगनिरोध कहते हैं। संयोग केवली भगवान अपने जीवन आयु के अन्त समय में योग निरोध करते हैं तीनों योगों के निरोध क्रम इस प्रकार है- बादरकाय योग में स्थित रहकर बादर मनोयोग का निरोध करते हैं तत्पश्चात् अन्तर्मुहूर्त जाकर बादर काय योग से बादर वचनयोग का निरोध करते हैं पुनः अन्तर्मुहूर्त से बादर काय से बादर उच्छ्वास निश्वास का निरोध करते हैं पुनः अन्तर्मुहूर्त से बादर काययोग से उसी बादर काययोग का निरोध करते हैं तत्पश्चात् अन्तर्मुहूर्त जाकर सूक्ष्मकाययोग से सूक्ष्म मनोयोग और पुनः अन्तर्मुहूर्त जाकर सूक्ष्म वचनयोग का निरोध करते हैं पुनः अन्तर्मुहूर्त जाकर सूक्ष्म काययोग से सूक्ष्म उच्छवास का निरोध करते हैं पुनः अन्तर्मुहूर्त जाकर सूक्ष्म काययोग से सूक्ष्म काय योग का निरोध करते हैं तत्पश्चात् अन्तर्मुहूर्त काल तक अयोग केवली के योग का अभाव हो जाने से आस्रव का निरोध हो जाता है तब सर्व कर्मों से रहित होकर आत्मा एक समय में सिद्धि को प्राप्त करता है ।