भोक्ता भोग्य भाव
व्यवहार नय से आत्मा सुख-दुःख में कर्म फलों को भोगता है और निश्चय से अपने चेतन भाव को भोगता है। निश्चय नय से कर्मों से सम्पादित सुख-दुःख परिणामों का भोक्ता है, व्यवहार नय से शुभाशुभ कर्मों से उपार्जित इष्टानिष्ट विषयों का भोक्ता है।
व्यवहार नय से आत्मा सुख-दुःख में कर्म फलों को भोगता है और निश्चय से अपने चेतन भाव को भोगता है। निश्चय नय से कर्मों से सम्पादित सुख-दुःख परिणामों का भोक्ता है, व्यवहार नय से शुभाशुभ कर्मों से उपार्जित इष्टानिष्ट विषयों का भोक्ता है।
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