ब्राह्मण
जैनागम के अनुसार अणुव्रतधारी संस्कारवान श्रावक ही ब्राह्मण कहलाता है । तप, शास्त्रज्ञान और जाति ये तीन ब्राह्मण होने के कारण है जो मनुष्य तप और शास्त्र ज्ञान से रहित है वह केवल जाति से ही ब्राह्मण है वास्तव में व्रतों के संस्कार से ही व्यक्ति ब्राह्मण होता है। जो एक बार गर्भ से और दूसरी बार क्रिया से इस प्रकार दो बार उत्पन्न हुआ हो उसको दो बार जन्मा अर्थात् द्विज कहते तत्पश्चात् शास्त्राभ्यास से जिसका संस्कार हुआ है वही वास्तव में द्विज है।