बुद्ध
केवलज्ञानादि अनन्त चतुष्टय सहित होने से आत्मा बुद्ध है। बुद्धि के द्वारा सब कुछ जानता है इसलिए बुद्ध है। इसके दो भेद हैं। प्रत्येक बुद्ध और .बोधित अपनी शक्ति रूप निमित्त से होने वाले ज्ञान के भेद से प्रत्येक बुद्ध होते हैं और परोपदेश रूप निमित्त से होने वाले ज्ञान के भेद से बोधित बुद्ध होते हैं। जिसके द्वारा गुरू उपदेश के बिना ही कर्मों के उपशम से सम्यकज्ञान और तप के विषय में प्रगति होती है, वह प्रत्येक बुद्धि ऋद्धि कहलाती है।