बहुविध
बहु शब्द संख्यावाची है वैपुल्यवाची दोनों प्रकार का है। विध शब्द प्रकार वाची है जैसे बहुत प्रकार के घोड़े, गाय, हाथी आदि बहुत सी वस्तुओं को या एक वस्तु को भी बहुत प्रकार से जानना बहुविध मतिज्ञान है। बहु और बहुविध इन दोनों में बहुत फर्क पाया जाता है लेकिन इनमें एक प्रकार का अनेक प्रकार की अपेक्षा अन्तर है जैसे कोई बहुत शास्त्रों का सरस रूप से व्याख्या करता है परन्तु उसके बहुत प्रकार के विशेष अर्थों से नहीं और दूसरा उन्हीं शास्त्रों की बहुत प्रकार के अर्थो द्वारा परस्पर में अतिशय युक्त व्यवस्थाऐं करता है। अथवा तत, वितत आदि शब्दों के ग्रहण में विशेषता न होते हुए भी जो उनमें से प्रत्येक तत, वितत आदि एक, दो, तीन संख्यात आदि अनन्त गुण रूप से परिणत शब्दों को ग्रहण करता है वह बहुबिध मतिज्ञान है और उन्हीं का जो सामान्य ग्रहण है वह बहु मतिज्ञान है।