प्राभृत
जो प्रकृष्ट अर्थात् तीर्थंकरों के द्वारा आभृत अर्थात् प्रस्थापित किया गया है वह प्राभृत है अथवा जिनके विद्या ही धन है ऐसे प्रकृष्ट आचार्यों के द्वारा जो धारण किया गया है अथवा व्याख्यान किया गया है अथवा परम्परा से लाया गया है वह प्राभृत या पाहुड है। जिस प्रकार एक व्यक्ति राजा के दर्शनार्थ जाकर कोई श्रेष्ठ सारभूत वस्तु भेंट करता है उसे प्राभृत कहते हैं इसी प्रकार परमात्मा के आराधक पुरुष के लिए निर्दोष परमात्मा राजा के दर्शनार्थ समयसार जी आदि शास्त्र प्राभृत है क्योंकि यह सारभूत है ।