प्रतिष्ठित
साधारण शरीरों के द्वारा आश्रित नहीं किया गया है शरीर जिनका उनकी अप्रतिष्ठा प्रत्येक संज्ञा होती है। साधारण शरीर के द्वारा आश्रित किया गया है प्रत्येक शरीर जिनका उनकी प्रतिष्ठित संज्ञा होती है। मूलबीज, अग्रबीज, पर्वबीज, कंदबीज, स्कन्ध बीज, बीज– रुध और सम्मूचर्ने ये सब वनस्पतियाँ अप्रतिष्ठित प्रत्येक और अनन्तकाय सप्रतिष्ठित प्रत्येक के प्रकार से दो प्रकार की होती हैं। थूहर, अदरक और मूली आदि वनस्पतियाँ बादर निगोद से सप्रतिष्ठित हैं। जो बादर निगोद जीवों के योनिभूत शरीर प्रत्येक जीव हैं उन्हें बादर निगोद प्रतिष्ठित कहते हैं। प्रतिष्ठित प्रत्येक वनस्पति को उपचार से सूक्ष्म निगोद भी कह देते हैं। तृण, बेलि, बड़े वृक्ष, छोटेवृक्ष, कंदमूल ऐसे पाँच भेद प्रत्येक वनस्पति के हैं। ये पाँचों वनस्पतियाँ जब निगोद शरीर के आश्रित हो तो प्रतिष्ठित प्रत्येक कही जाती हैं। प्रतिष्ठित प्रत्येक वनस्पति स्कन्ध में अनंत जीवों के शरीर की रचना विशेष होती है।