पूर्वानुपूर्वी
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जो वस्तु का विवेचन मूल से परिपाटी द्वारा किया जाता है, उसे पूर्वानुपूर्वी कहते हैं। जैसेऋषभनाथ की वन्दना करता हूँ से लेकर अजितनाथ की वन्दना करता हूँ इत्यादि क्रम से ऋषभनाथ को आदि लेकर महावीर स्वामी पर्यंत तक क्रमवार वन्दना करना सो पूर्वानुपूर्वी का उपक्रम है।
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