पुरुषार्थवाद
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आलस्यकरि संयुक्त होय, उत्साह रहित होय, जो किछु भी फल को भोगवै नाहीं । जैसे- स्तन का दूध उत्तम ही तै, पीवने में आवे । पौरुष बिना पीवने में न आवे तैसे सर्व पौरुष करि सिद्धि है, ऐसा पौरुषवाद है।
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