पुरुष व्यभिचार
उत्तम पुरुष के स्थान पर मध्यम पुरुष और मध्यम पुरुष के स्थान पर आदि के कथन करने को पुरुष व्यभिचार कहते हैं। “एहि मन्ये रथेन यास्यासि नहि यास्यासि यातस्ते” पिता आओ तुम समझते हो कि मैं रथ जाऊँगा, परन्तु अब न जाओगे, क्योंकि तुम्हारा पिता चला गया । यहाँ पर उपहास करने के लिए मन्यसे के स्थान पर मन्ये, ऐसा उत्तम पुरुष का यास्यामि के स्थान पर यास्यासि, ऐसा मध्यम पुरुष का प्रयोग हुआ है।