पारिणामिक भाव
जिसके होने में द्रव्य का स्वरूप मात्र कारण है वह पारिणामिक भाव है अथवा कर्म उदय, उपशम क्षय और क्षयोपशम की अपेक्षा न रखने वाले द्रव्य के स्वाभावभूत भाव को पारिणामिक भाव कहते हैं। जीवत्व, भव्यत्व और अभव्यत्व ये तीन पारिणामिक भाव के भेद हैं। ये तीनों भाव अन्य द्रव्यों में नहीं होते इसलिए जीव के असाधारण भाव कहलाते हैं। अस्तित्व, वस्तुत्व, प्रदेशत्व आदि भी पारिणामिक भाव हैं ये जीव और अजीव दोनों में साधारण हैं।