परमावस्था
जो मुनि कल्पना के जाल को दूर करके अपने चैतन्य और आनन्दमय स्वरूप में लय को प्राप्त होता है, वही निश्चय रत्नत्रय का स्थान होता है। विशुद्ध ज्ञान दर्शन लक्षण वाले जीव स्वभाव में निश्चित अवस्थान करना ही मोक्षमार्ग है। निश्चय मोक्षमार्ग के पर्यायान्तर शब्दों के नाम 1. परमार्थस्वरूप, 2. शुद्धात्म स्वरूप, 3. परमहंसस्वरूप, 4. परमब्रह्मस्वरूप, 5. परमविष्णुस्वरूप, 6. परमनिजस्वरूप, 7. सिद्ध, 8. निरंजनस्वरूप, 9. निर्मलस्वरूप, 10. स्वसंवेदनज्ञान, 11. परमतत्त्वज्ञान, 12. शुद्धात्मदर्शन, 13. परमावस्थास्वरूप, 14. परमात्मदर्शन, 15. ध्येय शुद्धस्वरूप परिणामिक भाव इत्यादि 62 नाम हैं।