परमात्मा
कर्मकलंक से रहित आत्मा को परमात्मा कहते हैं । अथवा सर्वदोषों से जो रहित है और केवल ज्ञान आदि परम वैभव से जो संयुक्त है वह परमात्मा कहलाता है परमात्मा के दो भेद है सकल और निकल परमात्मा तथा कार्य व कारण परमात्मा । केवल ज्ञान से जान लिए हैं समस्त पदार्थ जिन्होंने ऐसे शरीर अनन्त हैं, केवलज्ञान स्वरूप हैं ऐसा शुद्ध सहज परम पारिणामिक भाव है जिसका स्वभाव है वह करण परमात्मा वास्तव में आत्मा ही है। निज करण परमात्मा की भावना से उत्पन्न शुद्ध स्वरूप अर्हन्त और सिद्ध भगवान कार्य परमात्मा है। कारण परमात्मा रूप जीव स्वभाव ही कर्मों का क्षय हो जाने पर शुद्ध अर्थात् कार्य परमात्मा रूप हो जाता है।