पद्मप्रभ
छठवें तीर्थंकर । इनका जन्म इक्ष्वाकुवंश के राजा धरण और रानी सुसीमा के यहाँ हुआ । इनकी आयु तीस लाख वर्ष पूर्व थी और शरीर दो सौ पचास धनुष ऊँचा था । सोलह पूर्वांग कम एक लाख पूर्व आयु शेष रहने पर इन्होंने संसार से विरक्त होकर जिनदीक्षा ले ली । छह मास की कठोर तपस्या के फलस्वरूप इन्हें केवलज्ञान हुआ । इनके संघ में एक सौ दस गणधर, तीन लाख तीस हजार मुनि, चार लाख बीस हजार आर्यिकाएँ, तीन लाख श्रावक और पाँच लाख श्राविकाएँ थीं। इन्होंने सम्मेदशिखर से निर्वाण प्राप्त किया ।