नो कषाय
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ईषत् या अल्प कषाय को नो-कषाय कहते हैं। जिस कर्म के उदय से जीव हास्य आदि का वेदन करता है वह नो – कषाय – वेदनीय कर्म है। इसके नौ भेद हैं हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, स्त्रीवेद, पुरूषवेद और नपुंसकवेद । –
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