निर्वृत्य कर्म
कर्त्ता के द्वारा जो पहले न हो, ऐसा नवीन कुछ उत्पन्न किया जाये सो कर्त्ता का निर्वृत्य कर्म है, जैसे- घट बनाना । कर्त्ता के द्वारा पदार्थ में विकार ( परिवर्तन) करके जो कुछ किया जाये, वह कर्त्ता का विकार्य कार्य है । कर्त्ता का कर्म तीन प्रकार का कहा गया है। निर्वृत्य विकार्य और प्राप्त । कर्ता जो नया उत्पन्न नहीं करता तथा विकार्य करके भी नहीं करता मात्र जिसे प्राप्त करता है अर्थात् स्वयं उसकी पर्याय, वह कर्त्ता का प्राप्त कर्म है।