निराकार
वह उपयोग क्रम से दो प्रकार, आठ प्रकार व चार प्रकार है। ज्ञानोपयोग व दर्शनापयोग । ज्ञानोपयोग आठ प्रकार का है, और दर्शनोपयोग चार प्रकार का है। ज्ञानोपयोग को साकार उपयोग कहते हैं, दर्शनोपयोग को निराकार उपयोग कहते हैं । इन्द्रिय, मन, अवधि के द्वारा पदार्थ की विशेषता को ग्रहण न करके जो सामान्य अंश का ग्रहण होता है, अनाकार उपयोग कहते हैं, यह भी अन्तर्मुहूर्त काल तक होता है अनाकार दर्शनोपयोग है। सामान्य विशेषात्मक पदार्थों के आकार विशेष ग्रहण न करके जो केवल निर्विकल्प रूप से अंश का या स्वरूप मात्र का सामान्य ग्रहण होता है, उसे परमागम में दर्शन कहा गया है, इसे ही निराकार रूप कहते हैं।