नारद
ये कलह और युद्ध के प्रेमी होते हैं। एक स्थान की बात दूसरे स्थान तक पहुँचाने में सिद्धहस्त होते हैं। जटामुकुट, कमण्डलु, यज्ञोपवीत, गेरूआ वस्त्र और वीणा आदि धारण करते हैं। बाल – ब्रह्मचारी होते हैं। धर्म कार्य में तत्पर रहते हुए भी हिंसा व कलह आदि में रूचि रखने के कारण नरकगामी होते हैं । जिनेन्द्र – भक्ति के प्रभाव से शीघ्र ही मोक्ष प्राप्त कर लेते हैं ।