धर्मी
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कहीं तो (व्यापत काल में ) धर्म साध्य होता है। कही धर्म विशिष्ट धर्मी साध्य होता है। धर्मी को पक्ष भी कहते है जहाँ साध्य के रहने का शक हो “जैसे इस कोठे मे धूम है” इस दृष्टांत में कोठा पक्ष है।
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