धर्मावर्णवाद
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‘जिनेन्द्र भगवान के द्वारा कहा गया अहिंसा धर्म गुणकारी नहीं है, इसका पालन करने वाले जीव असुर होते हैं इस प्रकार धर्म की निंदा करना धर्म अवर्णवाद है। –
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