धर्मनाथ
पन्द्रहवें तीर्थंकर । कुरुवंशी राजा भानु और रानी सुप्रभा के यहाँ जन्मे। इनकी आयु दस लाख वर्ष और शरीर की ऊँचाई एक सौ अस्सी हाथ थी । शरीर स्वर्ण के समान आभा वाला था । पाँच लाख वर्ष तक राज्य करने के उपराँत उल्कापात देखकर इन्हें वैराग्य हो गया । अपने ज्येष्ठ पुत्र को राज्य देकर इन्होंने जिनदीक्षा ले ली । एक वर्ष तक तपस्या करके केवलज्ञान प्राप्त किया। इनके संघ में अरिष्टसेन आदि तेतालीस गणधर, चौंसठ हजार मुनि, बासठ हजार आर्यिकाएं, दो लाख श्रावक और चार लाख श्राविकाएँ थीं। इन्होंने सम्मेदशिखर से मोक्ष प्राप्त किया ।