दृष्टि अमृतरस ऋद्धि
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प्रसिद्ध होकर यदि वह नीरोग करता हूँ इस प्रकार देखता है, सोचता है, व क्रिया करता है, तो नीरोग करता है। तथा प्रसन्नतापूर्वक अवलोकन से अन्य भी शुभ कार्य को करने वाला दृष्टि अमृत कहलाता है।
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