तमः प्रभा
जिसकी प्रभा अन्धकार के समान है वह तमः प्रभा भूमि है। तम की एक अपनी प्रभा होती है, केवल दीप्ति का नाम ही प्रभा नहीं है किन्तु द्रव्यों का अपना विशेष सलोनापन होता है। उसी से कहा जाता है कि यह स्निग्ध कृष्णप्रभा वाला है। यह रूक्ष कृष्ण-प्रभा वाला है। जैसे मखमली कीड़े की इन्द्रगोप संज्ञा रूढ़ है। इसमें व्युत्पत्ति अपेक्षित नहीं है उसी प्रकार तमः प्रभा आदि संज्ञाएँ अनादि काल से रूक्ष समझी जाती हैं। यद्यपि यह रूक्ष शब्द है फिर भी यह अपने प्रतिनियत अर्थों को रखती है।