ढूंढिया मत
कुछ काल बाद श्वेताम्बर संघ में से ढूंढिया अपरनाम स्थानकवासी मत की उत्पत्ति हुई विक्रम की मृत्यु के 1527 वर्ष बाद धर्म कर्म का सर्वथा नाश करने वाला एक लंकामत ढूंढिया मत प्रकट हुआ इसी की विशेष व्याख्या यों है कि गुर्जर देश गुजरात में एक अणहिल नाम का नगर है उसमें प्राग्वाट(कुलम्बी) कुल में लुंका नाम का एक धारक एक श्वेताम्बरी हुआ था । उस दुष्टात्मा ने कुपित होकर तीव्र मिथ्यात्व के उदय से खोटे परिणामों के द्वारा लुंका मत चलाया, उसमें से भी पीछे अनेक भेद हो गये। उनमें से ही ( श्वेताम्बार में ही) श्वेताम्बराभास ढूंढिया मत उत्पन्न हुआ।