ज्ञेयार्थ
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उदयगत पुद्गल कर्माशों के अस्तित्व में चेतित होने पर जानने पर अनुभव करने पर मोह- राग-द्वेष में परिणत होने से ज्ञेयार्थ परिणमन स्वरूप क्रिया के साथ युक्त होता हुआ आत्मा क्रिया फलरूप बंध का अनुभव करता है किन्तु ज्ञान से नहीं।
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